अध्याय 6 कक्षा 12 के इतिहास में ‘भारत में राष्ट्रवाद’ पर केंद्रित है। यह अध्याय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण चरणों को समझने में मदद करता है। इस अध्याय में स्वदेशी आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे प्रमुख आंदोलनों पर चर्चा की गई है। साथ ही, इसमें महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं की भूमिका को भी विस्तार से समझाया गया है।
राष्ट्रीयता का उदय
19वीं शताब्दी के अंत में, ब्रिटिश शासन की नीतियों और उनके दमनकारी व्यवहार से भारतीय समाज में असंतोष बढ़ने लगा। ब्रिटिश सरकार की आर्थिक नीतियों ने भारतीय किसानों, व्यापारियों, और मजदूरों को अत्यधिक कष्ट दिया। इसके अलावा, सामाजिक और धार्मिक भेदभाव भी भारतीय जनता में असंतोष का मुख्य कारण बना। इससे भारतीय राष्ट्रीयता की भावना का उदय हुआ और स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हुई।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन (1885)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन 1885 में हुआ था। कांग्रेस की स्थापना का उद्देश्य भारतीयों के बीच एकता को बढ़ावा देना और ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाने का एक मंच तैयार करना था। कांग्रेस के पहले कुछ वर्षों में इसकी नीतियाँ नरम थीं और इसका दृष्टिकोण ब्रिटिश सरकार से सुधारों की माँग करने का था। लेकिन 20वीं शताब्दी की शुरुआत में कांग्रेस का रवैया बदलने लगा, और यह पूर्ण स्वतंत्रता की माँग करने लगी।
स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन (1905)
स्वदेशी आंदोलन 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में शुरू हुआ था। ब्रिटिश सरकार ने बंगाल को धर्म के आधार पर विभाजित करने का प्रयास किया, जिससे भारतीय जनता में भारी असंतोष पैदा हुआ। इसके विरोध में भारतीय नेताओं ने स्वदेशी वस्त्रों और उत्पादों के उपयोग का आह्वान किया और ब्रिटिश वस्त्रों और उत्पादों का बहिष्कार किया। इस आंदोलन का उद्देश्य भारतीय उद्योगों और व्यापार को पुनर्जीवित करना था।
असहयोग आंदोलन (1920)
महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन की शुरुआत 1920 में हुई। गांधीजी ने इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग न करना और ब्रिटिश वस्त्रों का बहिष्कार करना बताया। इस आंदोलन में सरकारी नौकरियों से इस्तीफा देना, विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार, और सरकारी स्कूलों और कॉलेजों का बहिष्कार शामिल था। इस आंदोलन ने भारतीय जनता को ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट किया और स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी।
सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930)
1930 में महात्मा गांधी ने नमक कानून के खिलाफ दांडी मार्च की शुरुआत की। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के उस कानून के खिलाफ था, जिसमें भारतीयों को नमक बनाने पर रोक लगाई गई थी। गांधीजी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से दांडी तट तक 24 दिनों की पदयात्रा की और वहां पहुंचकर नमक बनाया। यह कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण अवज्ञा का एक रूप था। इस आंदोलन में देशभर के लोगों ने भाग लिया और यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।
भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, भारतीय जनता में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असंतोष और बढ़ गया था। महात्मा गांधी ने 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की घोषणा की और ब्रिटिश सरकार से भारत को तुरंत स्वतंत्र करने की मांग की। गांधीजी ने इस आंदोलन में ‘करो या मरो’ का नारा दिया, और पूरे देश में इस आंदोलन की लहर दौड़ पड़ी। ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन को दबाने के लिए कई नेताओं को गिरफ्तार किया, लेकिन इसके बावजूद यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ।
भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) और नेताजी सुभाष चंद्र बोस
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सशस्त्र संघर्ष का मार्ग अपनाया। उन्होंने आज़ाद हिंद फौज (INA) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारतीयों को सशस्त्र बलों के माध्यम से स्वतंत्रता दिलाना था। नेताजी ने जापान और जर्मनी से समर्थन प्राप्त किया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक सशक्त सशस्त्र आंदोलन चलाया। INA ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक नई आशा जगाई और भारतीय जनता को स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने की प्रेरणा दी।
पाठ्यपुस्तक सारांश
इस अध्याय में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य चरणों पर विस्तार से चर्चा की गई है। यह अध्याय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, और जवाहरलाल नेहरू जैसे नेताओं की भूमिका को समझने में मदद करता है। इसके अलावा, इसमें विभिन्न आंदोलनों की शुरुआत, उनके कारण, और उनके परिणामों को भी बताया गया है।
गृहकार्य समाधान
प्रश्न: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन कब हुआ था और इसका उद्देश्य क्या था?
उत्तर: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन 1885 में हुआ था। इसका उद्देश्य भारतीयों के बीच राजनीतिक जागरूकता बढ़ाना और ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक संगठित मंच तैयार करना था।
प्रश्न: असहयोग आंदोलन के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
उत्तर: असहयोग आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग न करना, विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करना, और स्वदेशी वस्त्रों का उपयोग करना था।
प्रश्न: नमक सत्याग्रह का क्या महत्व था?
उत्तर: नमक सत्याग्रह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण आंदोलन था, जिसमें महात्मा गांधी ने ब्रिटिश नमक कानून का उल्लंघन किया और नमक बनाया। यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक व्यापक जनसमर्थन प्राप्त करने में सफल रहा।
महत्वपूर्ण शब्दावली
- स्वराज: आत्म-शासन या स्वतंत्रता।
- असहयोग: ब्रिटिश शासन के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग न करने की नीति।
- सविनय अवज्ञा: ब्रिटिश कानूनों का शांतिपूर्ण उल्लंघन।
- विभाजन: किसी देश या क्षेत्र का प्रशासनिक या राजनीतिक विभाजन।
- स्वदेशी: भारतीय वस्त्रों और उत्पादों का उपयोग, और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार।
महत्वपूर्ण तिथियाँ और घटनाएँ
- 1885: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना।
- 1905: स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत।
- 1919: जलियाँवाला बाग हत्याकांड।
- 1920: असहयोग आंदोलन का आरंभ।
- 1930: सविनय अवज्ञा आंदोलन और नमक सत्याग्रह।
- 1942: भारत छोड़ो आंदोलन।
महत्वपूर्ण नेता और उनकी भूमिकाएँ
- महात्मा गांधी: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांत को बढ़ावा दिया। उन्होंने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया।
- सुभाष चंद्र बोस: आज़ाद हिंद फौज के संस्थापक, जिन्होंने सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता प्राप्त करने का प्रयास किया।
- जवाहरलाल नेहरू: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता, जो बाद में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने।
- सरदार वल्लभभाई पटेल: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता, जिन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- बाल गंगाधर तिलक: स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है के नारे के साथ भारतीय जनता में जागरूकता फैलाने वाले एक प्रमुख नेता।
अभ्यास प्रश्नोत्तरी
प्रश्न: असहयोग आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर: असहयोग आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग न करना और स्वदेशी वस्त्रों का उपयोग करना था।
प्रश्न: भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू हुआ था?
उत्तर: 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था।
प्रश्न: दांडी मार्च का क्या उद्देश्य था?
उत्तर: दांडी मार्च का उद्देश्य ब्रिटिश नमक कानून का उल्लंघन करना और भारतीय जनता को एकजुट करना था।
प्रश्न: सुभाष चंद्र बोस ने कौन सी सेना की स्थापना की थी?
उत्तर: सुभाष चंद्र बोस ने आज़ाद हिंद फौज (INA) की स्थापना की थी।
प्रश्न: असहयोग आंदोलन के दौरान भारतीय जनता की प्रतिक्रिया कैसी थी?
उत्तर: असहयोग आंदोलन के दौरान भारतीय जनता ने ब्रिटिश वस्त्रों का बहिष्कार किया, सरकारी नौकरियों से इस्तीफा दिया और स्वदेशी वस्त्रों का उपयोग करना शुरू किया। जनता ने बड़े पैमाने पर इस आंदोलन में भाग लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट हो गई।
प्रश्न: भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया क्या थी?
उत्तर: भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने कई नेताओं को गिरफ्तार किया और आंदोलन को दबाने की कोशिश की, लेकिन यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का निर्णायक मोड़ साबित हुआ।
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