HomeInformation

Class 12 History Chapter 2 Notes In Hindi

Like Tweet Pin it Share Share Email

कक्षा 12 इतिहास के अध्याय 2 में हम प्राचीन भारतीय साम्राज्यों के विकास, विशेष रूप से मौर्य साम्राज्य की स्थापना, विस्तार, प्रशासनिक व्यवस्था और पतन के बारे में पढ़ते हैं। इस अध्याय में अशोक के शासन, कलिंग युद्ध और बौद्ध धर्म के प्रसार का भी महत्वपूर्ण विवरण दिया गया है।

Advertisements



अध्याय का नाम: राजा, किसान और नगर – प्रारंभिक राज्यों के उदय की कहानी

प्राचीन साम्राज्यों का विकास

प्राचीन भारत में बड़े साम्राज्यों के विकास की शुरुआत मौर्य साम्राज्य से मानी जाती है। यह साम्राज्य भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे पहला और सबसे विशाल साम्राज्य था, जिसकी स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य ने की थी। इस अध्याय में हम मौर्य साम्राज्य की स्थापना, विस्तार, प्रशासनिक संरचना और इसके पतन के कारणों को विस्तार से समझेंगे।

मौर्य साम्राज्य की स्थापना

चन्द्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना 322 ईसा पूर्व में की। इस समय भारत छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था और नंद वंश के राजा घनानंद का शासन था। चाणक्य (कौटिल्य) की सहायता से चन्द्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश को हराया और मौर्य साम्राज्य की नींव रखी। मौर्य साम्राज्य का विस्तार उत्तर-पश्चिमी भारत से लेकर दक्षिण भारत तक फैल गया।

चन्द्रगुप्त मौर्य और यूनानी संपर्क

चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य सिकंदर के आक्रमण के बाद उत्तरी भारत में फैला। सिकंदर की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारियों (डायडोचाई) ने भारत के उत्तरी भागों पर अधिकार किया था, लेकिन चन्द्रगुप्त ने यूनानियों को हराकर उस क्षेत्र पर अपना अधिकार स्थापित किया। चन्द्रगुप्त का यूनानी राजा सेल्यूकस निकेटर के साथ संधि भी हुई, जिसके तहत चन्द्रगुप्त ने उसे 500 हाथी दिए और बदले में उसे पश्चिमोत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों का अधिकार मिल गया।

बिन्दुसार का शासन

चन्द्रगुप्त मौर्य के बाद उसके पुत्र बिन्दुसार ने साम्राज्य की बागडोर संभाली। बिन्दुसार का शासनकाल शांतिपूर्ण था और उसने अपने पिता के साम्राज्य का विस्तार किया। उसने दक्षिण भारत के कई क्षेत्रों पर भी विजय प्राप्त की। हालांकि, बिन्दुसार के शासनकाल के दौरान कोई विशेष ऐतिहासिक घटना दर्ज नहीं है, लेकिन उसने मौर्य साम्राज्य की स्थिरता को बनाए रखा।

अशोक महान का शासन

बिन्दुसार के बाद उसका पुत्र अशोक मौर्य साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण शासक बना। अशोक का शासनकाल भारतीय इतिहास में विशेष महत्व रखता है। प्रारंभ में अशोक ने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए कई युद्ध किए, जिनमें सबसे प्रमुख युद्ध कलिंग का युद्ध था।

READ  Ganesh Vandana Lyrics In Hindi PDF

कलिंग का युद्ध और अशोक का धर्म परिवर्तन

कलिंग का युद्ध 261 ईसा पूर्व में लड़ा गया था। इस युद्ध में लाखों लोग मारे गए थे, और इस रक्तपात ने अशोक के मन को पूरी तरह से बदल दिया। इस युद्ध के बाद अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया और अहिंसा तथा शांति का प्रचार करने लगे। अशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म का विस्तार हुआ और उन्होंने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में धर्म और नैतिकता के सिद्धांतों का प्रचार किया।

अशोक के शिलालेख और धर्म प्रचार

अशोक ने अपने शासनकाल में धर्म और नैतिकता के सिद्धांतों का प्रचार करने के लिए शिलालेखों का उपयोग किया। ये शिलालेख पत्थरों और स्तंभों पर खुदवाए गए थे, जिनमें उनके आदेश, नैतिक उपदेश और जनता के लिए निर्देश थे। अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए कई देशों में अपने दूत भेजे, जिनमें श्रीलंका, बर्मा और अन्य दक्षिण एशियाई देश शामिल थे। उनके धर्म प्रचार का उद्देश्य केवल बौद्ध धर्म का प्रसार करना नहीं था, बल्कि मानवता, नैतिकता, और अहिंसा की भावना को बढ़ावा देना था।

मौर्य प्रशासनिक व्यवस्था

मौर्य साम्राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था अत्यधिक केंद्रीकृत थी। चन्द्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य के निर्देशन में एक सुदृढ़ प्रशासनिक ढांचा तैयार किया था। इस व्यवस्था के प्रमुख तत्व निम्नलिखित थे:

  • राजा: मौर्य साम्राज्य का राजा सर्वोच्च शासक होता था और सभी निर्णय वही लेता था।
  • महामंत्रि परिषद: राजा के निर्णयों में सहायता करने के लिए एक महामंत्रि परिषद होती थी, जिसमें विभिन्न विभागों के मंत्री शामिल होते थे।
  • प्रांतीय प्रशासन: मौर्य साम्राज्य को कई प्रांतों में विभाजित किया गया था, जिनके प्रशासन के लिए प्रांतीय राज्यपाल नियुक्त किए जाते थे।
  • कर व्यवस्था: मौर्य काल में कर वसूली अत्यधिक संगठित थी। करों के माध्यम से ही राज्य के खर्चों की पूर्ति होती थी।
  • सैन्य व्यवस्था: मौर्य साम्राज्य की सेना अत्यधिक संगठित और मजबूत थी। अशोक के काल में सेना का प्रयोग कम किया गया, लेकिन चन्द्रगुप्त और बिन्दुसार के शासनकाल में सेना ने कई सफल युद्ध किए थे।

मौर्य साम्राज्य का पतन

अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य का पतन शुरू हो गया। उनके उत्तराधिकारियों में कोई भी उतना प्रभावशाली शासक नहीं हुआ। धीरे-धीरे प्रांतों ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी और साम्राज्य का विघटन हो गया। 185 ईसा पूर्व में अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ की हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने कर दी और शुंग वंश की स्थापना की।

READ  True Life Quotes In Hindi

अध्याय का सारांश

मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास का पहला बड़ा साम्राज्य था, जिसकी स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य ने की थी। चन्द्रगुप्त के बाद बिन्दुसार और अशोक जैसे महत्वपूर्ण शासक हुए, जिन्होंने साम्राज्य को विस्तार और स्थिरता प्रदान की। अशोक के धर्म परिवर्तन ने भारतीय इतिहास में बौद्ध धर्म के प्रसार को एक नई दिशा दी। हालांकि, अशोक की मृत्यु के बाद साम्राज्य का पतन हुआ और इसके साथ ही मौर्य काल का अंत हो गया।

स्टडी गाइड्स

  • मौर्य साम्राज्य की स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य ने 322 ईसा पूर्व में की।
  • चाणक्य (कौटिल्य) ने चन्द्रगुप्त मौर्य को नंद वंश को हराने में मदद की।
  • अशोक का शासन मौर्य साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण समय था, विशेषकर कलिंग युद्ध के बाद।
  • मौर्य प्रशासनिक व्यवस्था सुदृढ़ और केंद्रीकृत थी।
  • अशोक के धर्म परिवर्तन के बाद बौद्ध धर्म का व्यापक प्रचार हुआ।
  • अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य साम्राज्य का पतन शुरू हो गया।

Advertisements



टेक्स्टबुक समरी

यह अध्याय मौर्य साम्राज्य के उदय, विस्तार, प्रशासनिक संरचना और पतन पर केंद्रित है। चन्द्रगुप्त मौर्य की स्थापना से लेकर अशोक के धर्म परिवर्तन और बौद्ध धर्म के प्रसार तक, यह काल भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण समयों में से एक है। मौर्य साम्राज्य की संगठनात्मक क्षमता और इसके पतन के कारणों का विश्लेषण इस अध्याय का मुख्य विषय है।

फ्लैशकार्ड्स

  1. चन्द्रगुप्त मौर्य – मौर्य साम्राज्य का संस्थापक
  2. अशोक – मौर्य साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण शासक
  3. कलिंग युद्ध – अशोक द्वारा लड़ा गया सबसे बड़ा युद्ध
  4. शिलालेख – अशोक के शासनकाल के धार्मिक आदेश और नैतिक उपदेश
  5. चाणक्य – चन्द्रगुप्त मौर्य के सलाहकार

क्लास हैंडआउट्स

  • मौर्य साम्राज्य की स्थापना के प्रमुख कारण और प्रभाव
  • अशोक के शासनकाल का विस्तार और धर्म प्रचार
  • मौर्य प्रशासनिक व्यवस्था और इसकी विशेषताएं
  • मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण

रिसर्च नोट्स

मौर्य साम्राज्य का विस्तार और इसकी प्रशासनिक व्यवस्था का अध्ययन हमें बताता है कि यह भारत के पहले केंद्रीकृत साम्राज्यों में से एक था। अशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म के प्रसार ने साम्राज्य को एक नैतिक और धार्मिक आधार प्रदान किया। मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों का अध्ययन करने से यह स्पष्ट होता है कि अशोक के बाद आने वाले शासकों में साम्राज्य को स्थिर रखने की क्षमता की कमी थी।

READ  Krishna Shayari In Hindi 2 Line

एनोटेटेड रीडिंग्स

  • मौर्य साम्राज्य की स्थापना पर ‘अर्थशास्त्र’ (कौटिल्य)
  • अशोक के शिलालेखों का अध्ययन
  • बौद्ध धर्म के प्रसार पर ऐतिहासिक स्रोत

होमवर्क सॉल्यूशंस

  1. चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल की प्रमुख विशेषताएं बताइए।
    • चन्द्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की और नंद वंश को हराया।
    • चाणक्य की सहायता से उसने साम्राज्य का विस्तार किया।
    • यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर के साथ उसकी संधि हुई।
  2. अशोक के धर्म परिवर्तन के क्या कारण थे?
    • कलिंग युद्ध के दौरान लाखों लोगों की मृत्यु और रक्तपात ने अशोक को बदल दिया।
    • इसके बाद उसने अहिंसा और शांति की नीति अपनाई।
    • अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया और धर्म का प्रचार किया।

Advertisements



परीक्षा की तैयारी सामग्री

  1. कलिंग युद्ध – अशोक के शासनकाल की महत्वपूर्ण घटना
  2. अशोक के शिलालेख – धार्मिक आदेश और नैतिकता का प्रचार
  3. मौर्य प्रशासनिक संरचना – केंद्रीकृत और सुदृढ़

प्रैक्टिस क्विज

  1. मौर्य साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?
    • (क) अशोक
    • (ख) बिन्दुसार
    • (ग) चन्द्रगुप्त मौर्य
    • (घ) पुष्यमित्र शुंग

    सही उत्तर: (ग) चन्द्रगुप्त मौर्य

  2. कलिंग युद्ध किस वर्ष हुआ था?
    • (क) 261 ईसा पूर्व
    • (ख) 321 ईसा पूर्व
    • (ग) 185 ईसा पूर्व
    • (घ) 272 ईसा पूर्व

    सही उत्तर: (क) 261 ईसा पूर्व

सैम्पल प्रॉब्लम्स विद सॉल्यूशंस

  1. मौर्य साम्राज्य के पतन के प्रमुख कारणों पर चर्चा करें।
    • अशोक की मृत्यु के बाद साम्राज्य का पतन शुरू हो गया।
    • कमजोर उत्तराधिकारियों के कारण प्रांतों ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी।
    • 185 ईसा पूर्व में अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ की हत्या कर दी गई।

ग्लॉसरी

  1. साम्राज्य – बड़े क्षेत्रों पर विस्तारित राज्य
  2. शिलालेख – पत्थरों या स्तंभों पर खुदे हुए आदेश
  3. धर्म परिवर्तन – किसी व्यक्ति द्वारा अपने धर्म में बदलाव
  4. अर्थशास्त्र – कौटिल्य द्वारा रचित पुस्तक, जिसमें प्रशासन और राजनीति के सिद्धांत हैं
  5. अहिंसा – किसी भी जीव को हानि न पहुँचाने का सिद्धांत

Comments (0)

प्रातिक्रिया दे

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Jobs on Whatsapp