बेवफ़ा शायरी दिल के उस दर्द को बयां करती है जो प्यार में धोखा खाने के बाद महसूस होता है। जब कोई अपना साथ छोड़ जाता है, तो दिल टूट जाता है। ऐसे में शायरी हमारे जज़्बातों को शब्दों में ढालती है और दिल को थोड़ा सुकून देती है।
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कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी, यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता।
बशीर बद्र -
तुमने किया न याद कभी भूल कर हमें, हमने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया।
बहादुर शाह ज़फ़र -
हमसे क्या हो सका मोहब्बत में, ख़ैर तुमने तो बेवफ़ाई की।
फ़िराक़ गोरखपुरी -
हमसे कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर तो है उसे, वो यार बा-वफ़ा न सही बेवफ़ा तो है।
जमील मलिक -
चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का, सो आ गया है तुम्हारा ख़याल वैसे ही।
अहमद फ़राज़ -
इक अजब हाल है कि अब उसको, याद करना भी बेवफ़ाई है।
जौन एलिया -
नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तेरी हरगिज़, गिला तब हो अगर तूने किसी से भी निभाई हो।
ख़्वाजा मीर दर्द -
बेवफ़ाई पे तेरी जी है फ़िदा, क़हर होता जो बा-वफ़ा होता।
मीर तक़ी मीर -
इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की, आज पहली बार उससे मैंने बेवफ़ाई की।
अहमद फ़राज़ -
दिल भी तोड़ा तो सलीक़े से न तोड़ा तुमने, बेवफ़ाई के भी आदाब हुआ करते हैं।
महताब आलम -
आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है, बेवफ़ाई कभी-कभी करना।
बशीर बद्र -
हम उसे याद बहुत आएँगे, जब उसे भी कोई ठुकराएगा।
क़तील शिफ़ाई -
उड़ गई यूँ वफ़ा ज़माने से, कभी गोया किसी में थी ही नहीं।
दाग़ देहलवी -
मेरे अलावा उसे ख़ुद से भी मोहब्बत है, और ऐसा करने से वो बेवफ़ा नहीं होती।
बालमोहन पांडेय -
वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी, मैं उसकी क़ैद में हूँ क़ैद से रिहाई में भी।
इफ़्तिख़ार आरिफ़ -
मेरे ब’अद वफ़ा का धोखा और किसी से मत करना, गाली देगी दुनिया तुझको सर मेरा झुक जाएगा।
क़तील शिफ़ाई -
तुम किसी के भी हो नहीं सकते, तुमको अपना बना के देख लिया।
अमीर रज़ा मज़हरी -
काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें, उस बेवफ़ा को भूल न जाएँ तो क्या करें।
अख़्तर शीरानी -
जो मिला उसने बेवफ़ाई की, कुछ अजब रंग है ज़माने का।
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी -
ये क्या कि तुमने जफ़ा से भी हाथ खींच लिया, मेरी वफ़ाओं का कुछ तो सिला दिया होता।
अब्दुल हमीद अदम -
गिला लिखूँ मैं अगर तेरी बेवफ़ाई का, लहू में ग़र्क़ सफ़ीना हो आश्नाई का।
मोहम्मद रफ़ी सौदा -
हमने तो ख़ुद को भी मिटा डाला, तुमने तो सिर्फ़ बेवफ़ाई की।
ख़लील-उर-रहमान आज़मी -
जाओ भी क्या करोगे मेहर-ओ-वफ़ा, बार-हा आज़मा के देख लिया।
दाग़ देहलवी -
वही तो मरकज़ी किरदार है कहानी का, उसी पे ख़त्म है तासीर बेवफ़ाई की।
इक़बाल अशहर -
उमीद उनसे वफ़ा की तो ख़ैर क्या कीजे, जफ़ा भी करते नहीं वो कभी जफ़ा की तरह।
आतिश बहावलपुरी -
अब ज़माना है बेवफ़ाई का, सीख लें हम भी ये हुनर शायद।
अमीता परसुराम मीता -
क़ाएम है अब भी मेरी वफ़ाओं का सिलसिला, इक सिलसिला है उनकी जफ़ाओं का सिलसिला।
अमीता परसुराम मीता -
उस बेवफ़ा से करके वफ़ा मर मिटा ‘रज़ा’, इक क़िस्सा-ए-तवील का ये इख़्तिसार है।
आले रज़ा रज़ा -
तुम जफ़ा पर भी तो नहीं क़ाएम, हम वफ़ा उम्र भर करें क्यूँ-कर।
बेदिल अज़ीमाबादी -
अधूरी वफ़ाओं से उम्मीद रखना, हमारे भी दिल की अजब सादगी है।
अमीता परसुराम मीता -
न मुदारात हमारी न अदू से नफ़रत, न वफ़ा ही तुम्हें आई न जफ़ा ही आई।
बेख़ुद बदायुनी -
बे-वफ़ा तुम बा-वफ़ा मैं देखिए होता है क्या, ग़ैज़ में आने को तुम हो मुझको प्यार आने को है।
आग़ा हज्जू शरफ़ -
ग़लत-रवी को तेरी मैं ग़लत समझता हूँ, ये बेवफ़ाई भी शामिल मेरी वफ़ा में है।
आसिम वास्ती -
ये जफ़ाओं की सज़ा है कि तमाशाई है तू, ये वफ़ाओं की सज़ा है कि पए-दार हूँ मैं।
हामिद मुख़्तार हामिद -
मैं ख़ानदान की पाबंदियों से वाक़िफ़ थी, ख़ुदा का शुक्र है उस शख़्स ने वफ़ा नहीं की।
कोमल जोया
FAQ for Bewafa Shayri in Hindi
बेवफ़ा शायरी से जुड़े सामान्य प्रश्न
1. बेवफ़ा शायरी क्या होती है?
उत्तर:
बेवफ़ा शायरी वह शायरी होती है जिसमें प्रेम में मिले धोखे, जुदाई, दर्द और विश्वासघात की भावनाओं को अभिव्यक्त किया जाता है। यह शायरी प्रेमियों के टूटे दिल की आवाज़ होती है।
2. बेवफ़ा शायरी क्यों पढ़ी या लिखी जाती है?
उत्तर:
बेवफ़ा शायरी दिल के ज़ख्मों को शब्दों में पिरोने का माध्यम है। इसे पढ़ना और लिखना एक भावनात्मक राहत देता है, और अपने दर्द को अभिव्यक्त करने में मदद करता है।
3. बेवफ़ा शायरी कौन-कौन से प्रसिद्ध शायरों ने लिखी है?
उत्तर:
मशहूर शायर जैसे मिर्ज़ा ग़ालिब, जौन एलिया, बशीर बद्र, अहमद फ़राज़, फ़िराक़ गोरखपुरी आदि ने बेवफ़ा शायरी में शानदार योगदान दिया है।
4. बेवफ़ा शायरी में किस प्रकार की भाषा का प्रयोग होता है?
उत्तर:
बेवफ़ा शायरी में आमतौर पर भावुक, दर्दभरी और गूढ़ भाषा का प्रयोग किया जाता है, जिसमें उर्दू के शब्दों का विशेष प्रभाव देखने को मिलता है।
5. बेवफ़ा शायरी किसे सुनानी चाहिए या किसे भेजनी चाहिए?
उत्तर:
यह शायरी किसी ऐसे व्यक्ति को सुनाई या भेजी जा सकती है जिसने आपके दिल को ठेस पहुँचाई हो या जिसे आप अपने दिल का दर्द दिखाना चाहते हों। लेकिन इसका प्रयोग संवेदनशीलता और मर्यादा के साथ करना चाहिए।
6. क्या बेवफ़ा शायरी सिर्फ प्रेम में धोखा खाने वालों के लिए है?
उत्तर:
नहीं, यह शायरी हर उस व्यक्ति के लिए है जिसने जीवन में किसी भी रूप में विश्वासघात झेला हो — चाहे वो दोस्ती हो, रिश्तेदारी या प्रेम।
7. क्या बेवफ़ा शायरी सोशल मीडिया पर शेयर की जा सकती है?
उत्तर:
हाँ, बेवफ़ा शायरी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म जैसे व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक पर शेयर की जाती है ताकि लोग अपने दिल का हाल बयान कर सकें।
8. बेवफ़ा शायरी में कौन-कौन से टॉपिक होते हैं?
उत्तर:
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जुदाई
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धोखा
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तन्हाई
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अधूरी मोहब्बत
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यादें
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बेवफ़ाई का पछतावा
9. क्या बेवफ़ा शायरी का असर दिल पर होता है?
उत्तर:
हाँ, जब कोई व्यक्ति भावनात्मक स्थिति में होता है तो शायरी उसके दिल को छूती है और उसे अपनी भावनाओं को समझने और उनसे बाहर निकलने का माध्यम मिल सकता है।
10. क्या बेवफ़ा शायरी से किसी को चोट पहुँच सकती है?
उत्तर:
यदि यह शायरी व्यक्तिगत रूप से किसी को भेजी जाए और उसमें कटाक्ष हो, तो यह दुख पहुँचा सकती है। इसलिए इसका प्रयोग सोच-समझ कर करना चाहिए
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