कहानियाँ हमेशा से बच्चों को जीवन के महत्वपूर्ण मूल्य और नैतिक शिक्षा सिखाने का सबसे प्रभावी साधन रही हैं। नैतिक कहानियाँ हमें अच्छे और बुरे के बीच का फर्क समझाने के साथ-साथ समाज में एक अच्छा इंसान बनने की शिक्षा भी देती हैं। यहाँ कक्षा 8 के विद्यार्थियों के लिए 10 नैतिक कहानियों का संग्रह प्रस्तुत किया गया है। ये कहानियाँ न केवल बच्चों को मनोरंजन देंगी, बल्कि उनके चरित्र निर्माण में भी मदद करेंगी।
1. सच्चाई की जीत
किसी छोटे गाँव में रामू नाम का एक गरीब लेकिन ईमानदार लड़का रहता था। उसकी माता बहुत बीमार थी, और रामू दवाइयाँ खरीदने के लिए पैसे नहीं जुटा पा रहा था। एक दिन जब रामू अपने गाँव से शहर की ओर जा रहा था, तो उसे रास्ते में एक बटुआ मिला जिसमें बहुत सारे पैसे और गहने थे। रामू ने सोचा कि इन पैसों से वह अपनी माँ की दवाई खरीद सकता है, लेकिन फिर उसकी अंतरात्मा ने उसे रोका। वह जानता था कि ये पैसे उसके नहीं हैं और किसी और के हैं, जो अपनी मेहनत से अर्जित किए होंगे।
वह तुरंत बटुआ लेकर शहर के पुलिस स्टेशन गया और उसे पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने उसे आश्वासन दिया कि वे असली मालिक को ढूंढ निकालेंगे। कुछ दिनों बाद, पुलिस ने उस व्यक्ति को खोज निकाला जिसने बटुआ खोया था। वह व्यक्ति एक धनी व्यापारी था। व्यापारी ने रामू की ईमानदारी से प्रभावित होकर उसे इनाम में पैसे दिए और उसकी माँ की दवाई का पूरा खर्चा भी उठाया। इस घटना ने रामू को जीवन भर के लिए सिखा दिया कि सच्चाई की राह पर चलना हमेशा सही होता है, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।
शिक्षा: सच्चाई और ईमानदारी सबसे बड़े गुण हैं, और सच्चाई की हमेशा जीत होती है।
2. दोस्ती की असली परख
दो दोस्तों, अर्जुन और बाला, की गहरी दोस्ती थी। दोनों एक दिन जंगल से होकर यात्रा कर रहे थे। जंगल का रास्ता सुनसान और डरावना था, लेकिन वे दोनों एक-दूसरे के साथ होने के कारण सुरक्षित महसूस कर रहे थे। चलते-चलते अचानक उनके सामने एक बड़ा भालू आ गया। अर्जुन को भालू देखकर बहुत डर लगने लगा और वह बिना सोचे-समझे तेजी से एक पेड़ पर चढ़ गया। बाला, जो पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था, डर से कांपने लगा।
उसने सुना था कि भालू मरे हुए इंसानों को नहीं खाता, इसलिए बाला तुरंत ज़मीन पर लेट गया और सांस रोककर मरने का नाटक करने लगा। भालू उसके पास आया, उसे सूंघा, लेकिन उसे कुछ खास महसूस नहीं हुआ और वह वहाँ से चला गया। जब अर्जुन ने देखा कि भालू चला गया है, तो वह पेड़ से उतरकर बाला के पास आया और हंसते हुए बोला, “भालू तुम्हारे कान में क्या कह रहा था?”
बाला ने गंभीरता से कहा, “भालू ने मुझे कहा कि सच्चा दोस्त वो नहीं होता जो मुसीबत के समय पेड़ पर चढ़ जाए और तुम्हें छोड़ दे।” अर्जुन को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने बाला से माफी मांगी।
शिक्षा: सच्चे दोस्त मुसीबत के समय में आपका साथ कभी नहीं छोड़ते। दोस्ती की परख मुश्किल हालातों में होती है।
3. मेहनत का फल
एक समय की बात है, एक बूढ़ा किसान था, जिसके तीन बेटे थे। किसान ने अपनी पूरी ज़िंदगी कड़ी मेहनत करके अपनी जमीनों को उपजाऊ बनाया था, लेकिन उसके बेटे आलसी और कामचोर थे। किसान को अपनी मृत्यु का आभास हो गया था, इसलिए उसने अपने बेटों को बुलाकर कहा, “मेरी मृत्यु के बाद, हमारे खेत में एक खजाना छिपा हुआ है। यदि तुम उसे पाना चाहते हो, तो खेत को खोदना पड़ेगा।”
किसान के मरने के बाद, बेटों ने तुरंत खेत को खोदना शुरू कर दिया। वे दिन-रात मेहनत करते रहे, लेकिन उन्हें कहीं भी खजाना नहीं मिला। अंत में, खेत पूरी तरह से खोदा जा चुका था, परंतु उन्हें कोई सोना या चांदी नहीं मिला। थकान से चूर होकर, उन्होंने सोचा कि उनके पिता ने उनसे झूठ कहा था।
लेकिन जब बरसात का मौसम आया और उन्होंने खेत में बीज बोए, तो उस साल की फसल अद्भुत हुई। उन्होंने इतना अनाज पैदा किया जितना उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था। तब उन्हें समझ में आया कि उनके पिता ने जिस खजाने की बात की थी, वह मेहनत का फल था।
शिक्षा: मेहनत से ही सच्चा खजाना मिलता है। कोई काम बिना मेहनत के फलदायी नहीं होता।
4. लोभ का नाश
एक गाँव में दो भाई रहते थे। बड़े भाई का नाम मोहन और छोटे भाई का नाम सोहन था। मोहन बहुत लालची था और वह हमेशा सोहन को तुच्छ समझता था। एक दिन दोनों जंगल की ओर गए, जहां उन्हें एक पुराना चिराग मिला। जैसे ही उन्होंने चिराग को घिसा, उसमें से एक जिन्न निकला। जिन्न ने कहा, “तुम दोनों जो चाहोगे, मैं तुम्हें दूँगा, लेकिन ध्यान रहे कि जो भी छोटा भाई मांगेगा, बड़े भाई को उससे दोगुना मिलेगा।”
मोहन ने सोचा कि यह तो अच्छा मौका है, वह सोहन को ऐसा कुछ मांगने को कहेगा जिससे उसे अधिक फायदा हो। सोहन ने सबसे पहले जिन्न से एक सुंदर घर मांगा। जिन्न ने तुरंत सोहन को एक घर दिया और मोहन को उससे भी बड़ा घर दिया। फिर सोहन ने धन मांगा, और मोहन को उससे दोगुना धन मिला। मोहन का लालच बढ़ता गया, और उसने सोहन को लालची नजरों से देखना शुरू कर दिया।
सोहन को यह समझ में आ गया कि उसका भाई कितना लालची है। उसने जिन्न से अपनी एक आँख मांगी। जिन्न ने उसकी एक आँख ली और मोहन की दोनों आँखें चली गईं। मोहन अंधा हो गया और तब उसे समझ में आया कि लालच का नाश निश्चित है।
शिक्षा: लालच बुरी बला है और अंत में उसका परिणाम हमेशा बुरा होता है।
5. दयालु राजा की कहानी
पुराने समय की बात है, एक राजा था जो बहुत दयालु और न्यायप्रिय था। उसके राज्य में कोई भी भूखा या गरीब नहीं था। राजा स्वयं भेष बदलकर रात में राज्य की सड़कों पर घूमा करता था, ताकि उसे अपने राज्य की सच्चाई का पता चल सके। एक दिन जब वह घूम रहा था, तो उसने देखा कि एक गरीब आदमी भूखा बैठा है।
राजा ने उसके पास जाकर उससे पूछा, “तुम इतने दुखी क्यों हो?”
उस आदमी ने कहा, “मैं गरीब हूँ और कई दिनों से भूखा हूँ।”
राजा ने तुरंत उसे अपने महल में भोजन और कपड़े दिलवाए और उसके लिए एक नौकरी भी दिलवा दी। उस दिन से राजा के राज्य में हर कोई उसकी दयालुता की प्रशंसा करने लगा। धीरे-धीरे उसकी यह दया पूरे राज्य में फैल गई, और लोग राजा को भगवान के समान मानने लगे।
शिक्षा: दयालुता और उदारता ही एक सच्चे राजा की पहचान होती है।
6. बुद्धिमान गड़रिया
किसी छोटे गाँव में एक गड़रिया रहता था। वह अपनी भेड़ों को हर दिन पहाड़ी पर चराने के लिए ले जाता था। एक दिन पहाड़ी के नीचे एक बड़ा शेर आया और उसकी भेड़ों पर हमला करने की कोशिश करने लगा। गड़रिया समझ गया कि अगर उसने कुछ नहीं किया तो शेर उसकी सभी भेड़ों को मार देगा। वह साहस और चतुराई से भरा हुआ था, इसलिए उसने शेर के पास जाकर कहा, “तुम मेरे पास से भेड़ें चुराने की कोशिश क्यों कर रहे हो? यदि तुम चाहते हो, तो मैं तुम्हें रोज़ एक भेड़ खुद दूँगा, लेकिन तुम बाकी भेड़ों को सुरक्षित छोड़ दो।”
शेर इस प्रस्ताव से सहमत हो गया और रोज़ एक भेड़ खाने के लिए आने लगा। धीरे-धीरे शेर आलसी हो गया और उसने शिकार करना ही छोड़ दिया। गड़रिया समझ गया कि शेर अब पूरी तरह से उसकी योजना के जाल में फंस गया है। एक दिन गड़रिया अपने गाँव के लोगों के साथ मिलकर शेर को जाल में फंसा लिया और उसे जंगल से दूर ले जाकर छोड़ दिया।
शिक्षा: बुद्धिमानी और चतुराई से बड़ी से बड़ी मुश्किल का समाधान निकाला जा सकता है। बिना ताकत के भी मुश्किलों का सामना किया जा सकता है।
7. ईर्ष्या का दुष्परिणाम
एक बार की बात है, दो पड़ोसी थे – राम और श्याम। राम बहुत मेहनती और दयालु था, जबकि श्याम ईर्ष्यालु और स्वार्थी था। राम हमेशा खुश रहता था और उसकी फसलें भी बहुत अच्छी होती थीं। श्याम को यह देखकर बहुत जलन होती थी। उसने सोचा कि राम के पास से खुशियों को छीनने का कोई तरीका ढूँढे।
श्याम ने एक जादूगर से मिलकर एक जादुई मंत्र हासिल किया। उसने राम की खुशियों को छीनने के लिए मंत्र का प्रयोग किया, लेकिन उसे इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि यह मंत्र उसके लिए भी घातक साबित होगा। जब उसने मंत्र का प्रयोग किया, तो राम के खेत में विपत्ति आ गई और उसकी फसलें नष्ट हो गईं। लेकिन जादू के असर से श्याम की अपनी फसलें भी नष्ट हो गईं। श्याम को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने राम से माफी मांगी।
राम ने उसे माफ कर दिया, लेकिन उसे समझाया कि ईर्ष्या कभी किसी का भला नहीं करती, बल्कि खुद का ही नुकसान करती है।
शिक्षा: ईर्ष्या और द्वेष से हमें कभी कोई लाभ नहीं होता। इसका परिणाम हमेशा बुरा ही होता है।
8. स्वार्थी आदमी और स्वर्ण अंडा देने वाली मुर्गी
बहुत समय पहले की बात है, एक किसान के पास एक मुर्गी थी जो रोज़ एक सोने का अंडा देती थी। किसान बहुत खुश था, लेकिन धीरे-धीरे वह लोभी हो गया। उसने सोचा कि अगर मुर्गी के पेट में इतने सारे अंडे हैं, तो क्यों न सारे अंडे एक ही बार में निकाल लिए जाएँ। इस विचार से वह बहुत उत्साहित हो गया।
एक दिन उसने छुरी लेकर मुर्गी को मार डाला और उसके पेट को चीर दिया। लेकिन जब उसने मुर्गी के पेट में देखा, तो वहाँ एक भी सोने का अंडा नहीं था। अब किसान को अपनी गलती का एहसास हुआ, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। उसने अपने स्वार्थ के कारण वह मुर्गी खो दी जो रोज़ उसे सोने का अंडा देती थी।
शिक्षा: लालच हमेशा बर्बादी की ओर ले जाता है। संतोष में ही सुख है।
9. परोपकारी बादशाह
एक राजा था जिसे अपने प्रजा से बहुत प्रेम था। वह हमेशा उनकी भलाई के लिए काम करता था और अपनी प्रजा के दुःख-सुख में भागीदार बनता था। एक दिन, एक साधु राजा के दरबार में आया और उसने राजा से कहा, “राजा, तुम्हारे राज्य में कोई दुखी नहीं है, लेकिन मैं देखता हूँ कि तुम्हारे खुद के चेहरे पर चिंता की लकीरें हैं। क्या तुम्हारे जीवन में कोई दुःख है?”
राजा ने उत्तर दिया, “मेरे जीवन में कोई दुःख नहीं है, लेकिन मुझे अपनी प्रजा के सुख-दुःख की चिंता हमेशा रहती है। अगर किसी का भी जीवन दुखी है, तो मुझे शांति नहीं मिलती।”
साधु ने कहा, “राजा, तुम एक सच्चे परोपकारी हो, और परोपकार ही तुम्हारी सबसे बड़ी ताकत है। ऐसा राजा बहुत दुर्लभ होता है जो अपने राज्य की भलाई के लिए अपना जीवन अर्पण करता है।”
राजा ने साधु के इस संदेश को अपने जीवन का मूल मंत्र बना लिया और तब से वह दिन-रात अपने राज्य की भलाई के लिए काम करता रहा।
शिक्षा: परोपकार और दूसरों की भलाई में सच्ची शांति है। दूसरों के लिए जीना ही सच्चा जीवन है।
10. चतुर व्यापारी
किसी समय की बात है, एक व्यापारी था जो दूर-दूर तक अपने व्यापार के लिए प्रसिद्ध था। वह अपनी चतुराई और बुद्धिमानी के कारण हमेशा सफलता प्राप्त करता था। एक दिन जब वह व्यापार के सिलसिले में यात्रा कर रहा था, तो उसे रास्ते में एक नदी पार करनी पड़ी। नदी बहुत गहरी और खतरनाक थी, लेकिन व्यापारी के पास और कोई रास्ता नहीं था।
व्यापारी ने आसपास देखा और सोचा कि कैसे नदी पार की जाए। तभी उसने नदी किनारे कुछ बड़े पत्थर देखे। उसने कुछ समय बिताया और पत्थरों को ध्यान से लगाया ताकि वह उन पर चलते हुए नदी पार कर सके। धीरे-धीरे उसने नदी पार कर ली और अपने व्यापार को सफलतापूर्वक पूरा किया।
उसने यह सीखा कि धैर्य और सूझबूझ से हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है, चाहे समस्या कितनी भी बड़ी क्यों न हो। अपनी इस यात्रा के बाद, वह अपने व्यापार में और अधिक सफल हुआ क्योंकि उसने हर कठिनाई को धैर्य और समझदारी से हल करने की कला सीख ली थी।
शिक्षा: धैर्य और बुद्धिमानी से हर मुश्किल को हल किया जा सकता है। बिना धैर्य के सफलता असंभव है।
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