श्रीकृष्ण के वचनों में जीवन की गहरी सीख छिपी है। उनके विचार हमें सत्य, धर्म और कर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। श्रीकृष्ण ने गीता में बताया कि मनुष्य को अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। यही सच्चा धर्म है।
- “जो हुआ, अच्छा हुआ। जो हो रहा है, अच्छा हो रहा है। जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा।”
- “अपने कर्म पर ध्यान दो, फल की चिंता मत करो।”
- “मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वह विश्वास करता है, वैसा वह बन जाता है।”
- “क्रोध से भ्रम उत्पन्न होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है।”
- “जो व्यक्ति निष्काम कर्म करता है, वही सच्चा योगी है।”
- “सच्चा मित्र वही है जो आपके दुख में साथ देता है।”
- “भक्ति में ही सच्चा आनंद छिपा है।”
- “किसी और की नकल मत करो, अपनी पहचान खुद बनाओ।”
- “जो लोग दूसरों की सेवा करते हैं, वे मुझे सबसे प्रिय हैं।”
- “संसार की माया में मत फंसो, आत्मा को पहचानो।”
- “जीवन का सार सत्य और धर्म में है।”
- “आत्मा अजर-अमर है, यह न कभी जन्म लेती है और न मरती है।”
- “जो मनुष्य अपने कर्तव्यों का पालन करता है, वही सच्चा भक्त है।”
- “मन को वश में करना ही सबसे बड़ा धर्म है।”
- “जीवन में हर परिस्थिति में धैर्य और संयम बनाए रखें।”
- “जितना हो सके, दूसरों की मदद करो।”
- “सच्चा ज्ञान वह है जो आपके अज्ञान को दूर करे।”
- “अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है।”
- “प्रेम ही जीवन का सबसे बड़ा धर्म है।”
- “जो सत्य के मार्ग पर चलता है, वह कभी पराजित नहीं होता।”
- “स्वार्थ का त्याग करके, निष्काम भाव से कर्म करो।”
- “धन और शक्ति पर घमंड मत करो, सब क्षणभंगुर है।”
- “जो दूसरों के लिए सोचता है, वही सच्चा मानव है।”
- “मेरा भक्त मुझसे कभी दूर नहीं होता।”
- “शांति वही प्राप्त करता है, जो अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करता है।”
- “जो सुख-दुख में समान रहता है, वही सच्चा ज्ञानी है।”
- “असत्य के मार्ग पर चलने वाले का अंत निश्चित है।”
- “सच्ची भक्ति वह है जो बिना किसी स्वार्थ के की जाए।”
- “परिवर्तन ही संसार का नियम है।”
- “किसी के प्रति बुरा मत सोचो, क्योंकि जैसा सोचोगे, वैसा बनोगे।”
- “धर्म का पालन करना ही जीवन का असली उद्देश्य है।”
- “कर्म ही आपकी पहचान है।”
- “जो अपने क्रोध पर विजय पा लेता है, वह सच्चा योद्धा है।”
- “साधारण कार्य भी महान बन सकता है, अगर उसे भक्ति से किया जाए।”
- “संसार एक रंगमंच है, और हम सभी इसमें अभिनेता हैं।”
- “भगवान की इच्छा के बिना कुछ भी नहीं होता।”
- “जो दूसरों की सेवा करता है, वही सच्चा संत है।”
- “धर्म का पालन करने वाला कभी असफल नहीं होता।”
- “मनुष्य अपने विचारों से ही बड़ा या छोटा बनता है।”
- “अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है।”
- “भक्ति का मार्ग कठिन है, लेकिन यही सच्ची शांति का मार्ग है।”
- “जो सत्य के मार्ग पर चलता है, वह परमात्मा को पा लेता है।”
- “भगवान हर जगह हैं, उन्हें अपने अंदर खोजो।”
- “समर्पण के बिना भक्ति अधूरी है।”
- “जो दूसरों के सुख में सुखी होता है, वह सच्चा भक्त है।”
- “कभी किसी को दुःखी मत करो, यह सबसे बड़ा पाप है।”
- “संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है, सब नश्वर है।”
- “जो व्यक्ति अपनी इच्छाओं का त्याग करता है, वह सच्चा ज्ञानी है।”
- “अज्ञान ही सबसे बड़ा अंधकार है।”
- “धैर्य और मेहनत से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।”
- “जो आत्मा को पहचान लेता है, वह मुक्त हो जाता है।”
- “प्रेम से बड़ी कोई शक्ति नहीं है।”
- “जो भगवान पर विश्वास करता है, उसे कभी डर नहीं होता।”
- “मनुष्य का जन्म कर्म करने के लिए हुआ है।”
- “सत्य ही भगवान का स्वरूप है।”
- “जो अपने अहंकार को त्याग देता है, वही सबसे बड़ा ज्ञानी है।”
- “जीवन में संतोष सबसे बड़ा धन है।”
- “प्रार्थना से मन को शांति मिलती है।”
- “जो दूसरों को क्षमा करता है, वही सबसे बड़ा है।”
- “सच्चा ज्ञान आत्मा की पहचान में है।”
- “हर जीव में भगवान का वास है।”
- “स्वयं को पहचानना ही सबसे बड़ी सफलता है।”
- “कर्म करो और परिणाम की चिंता मत करो।”
- “सच्चा भक्त वही है, जो भगवान के नाम का स्मरण करता है।”
- “अपने अंदर के सत्य को पहचानो।”
- “संसार के मोह को त्यागो, यही सच्ची मुक्ति है।”
- “जो दूसरों के दुःख को समझता है, वही सच्चा मानव है।”
- “प्रेम और करुणा से ही सच्ची भक्ति प्राप्त होती है।”
- “धन और ऐश्वर्य से सुख नहीं मिलता।”
- “अपने कर्म से संसार को रोशन करो।”
- “जो दूसरों की मदद करता है, वही सच्चा भक्त है।”
- “सत्य ही धर्म है।”
- “हर परिस्थिति में धैर्य रखें।”
- “मनुष्य को अपने कर्म पर गर्व करना चाहिए।”
- “परिवार और समाज की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।”
- “जीवन एक अवसर है, इसे अच्छे कर्मों से सार्थक बनाओ।”
- “जो दूसरों के लिए अच्छा सोचता है, उसका जीवन सफल होता है।”
- “हर दिन को भगवान का आशीर्वाद मानो।”
- “सच्चा आनंद आत्मा की शांति में है।”
- “जो ज्ञान प्राप्त करता है, वह सच्चा अमीर है।”
- “ईर्ष्या और द्वेष से बचो।”
- “हर कार्य में भगवान का स्मरण करो।”
- “जो अपने मन को शांत रखता है, वही सबसे सुखी है।”
- “जीवन में हर पल को सम्मान दो।”
- “जो भगवान की शरण में आता है, वह भयमुक्त हो जाता है।”
- “अपनी असफलताओं से सीखें।”
- “हर जीव में परमात्मा का वास है।”
- “दया और करुणा जीवन को श्रेष्ठ बनाते हैं।”
- “जो जीवन में सच्चा है, वह भगवान के सबसे करीब है।”
- “हर परिस्थिति को भगवान की इच्छा समझकर स्वीकार करो।”
- “सच्चा सुख निष्काम कर्म में है।”
- “प्रेम और शांति से जीवन को सार्थक बनाओ।”
- “हर जीव को समान दृष्टि से देखो।”
- “भगवान पर पूर्ण विश्वास रखो।”
- “अपने जीवन को अच्छे कार्यों से भरें।”
- “जो दूसरों के प्रति दया भाव रखता है, वही महान है।”
- “संसार की माया में उलझने से बचो।”
- “सत्य और अहिंसा जीवन के सबसे बड़े मूल्य हैं।”
- “जो दूसरों के सुख में सुखी होता है, वही सच्चा भक्त है।”
- “भगवान को पाने का मार्ग भक्ति और प्रेम है।”
श्रीकृष्ण के वचन जीवन में सकारात्मकता और शांति लाते हैं। उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने हजारों साल पहले थे|
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