दुख की कहानी अक्सर जीवन के कठिन समय को दर्शाती है, जब व्यक्ति को अपनों का साथ छूट जाने का दर्द सहना पड़ता है। जीवन में कई बार परिस्थितियाँ ऐसी हो जाती हैं, जहाँ इंसान खुद को अकेला महसूस करता है। चाहें वो किसी प्रियजन की मृत्यु हो, असफलता का सामना हो, या किसी सपने का टूट जाना, यह सब मन में गहरा असर छोड़ जाते हैं। दुख की कहानी इंसान की कमजोरियों और संवेदनाओं को उजागर करती है, लेकिन इसके साथ यह भी सिखाती है कि जीवन में कभी-कभी दर्द और संघर्ष भी एक हिस्से के रूप में आते हैं।
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कहानी 1: अधूरी प्रेम कहानी
कृष्णा और सुमन की कहानी
कृष्णा एक छोटे से गाँव का सीधा-साधा लड़का था। वह गाँव के स्कूल में पढ़ता था और अपने माता-पिता के साथ रहता था। सुमन, उसी गाँव की एक प्यारी और खूबसूरत लड़की थी। दोनों बचपन से एक-दूसरे के साथ खेलते थे और बड़े होते-होते उनके दिल में एक-दूसरे के लिए खास जगह बन गई थी।
कृष्णा और सुमन के दिलों में धीरे-धीरे प्यार पनपने लगा। गाँव की तंग गलियों में उनके प्यार की कहानी सबको मालूम हो गई थी, लेकिन उन्होंने कभी अपने दिल की बात एक-दूसरे से नहीं कही। वे दोनों सिर्फ आंखों ही आंखों में सब कुछ कह जाते थे।
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एक दिन, गाँव में एक बड़ा मेला लगा। कृष्णा ने सोचा कि यह सही मौका है, वह सुमन से अपने दिल की बात कह देगा। वह एक खूबसूरत गुलाब का फूल लेकर मेले में पहुँचा। सुमन भी मेले में आई थी, उसके चेहरे पर एक प्यारी मुस्कान थी।
कृष्णा ने हिम्मत जुटाई और सुमन के पास जाकर उसे गुलाब का फूल दिया। सुमन की आंखों में चमक आ गई और उसने कृष्णा के प्यार को स्वीकार कर लिया। दोनों ने अपने प्यार का इज़हार किया और एक-दूसरे के साथ जीने-मरने की कसमें खाईं।
लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। सुमन के माता-पिता ने उसकी शादी किसी और से तय कर दी। सुमन ने अपने माता-पिता से बहुत मिन्नतें कीं, लेकिन वे नहीं माने। अंत में, सुमन को अपने माता-पिता की बात माननी पड़ी और उसकी शादी गाँव के ही एक बड़े घराने के लड़के से हो गई।
कृष्णा का दिल टूट गया। उसने सुमन को खो दिया था, लेकिन उसने कभी उसे भूलने की कोशिश नहीं की। सुमन भी अपने नए घर में खुश नहीं थी, लेकिन उसने अपने परिवार की खुशी के लिए खुद को समर्पित कर दिया।
समय बीतता गया, लेकिन कृष्णा और सुमन का प्यार कभी कम नहीं हुआ। वे दोनों अपने-अपने रास्तों पर चल पड़े, लेकिन उनके दिलों में एक-दूसरे के लिए हमेशा जगह बनी रही।
इस अधूरी प्रेम कहानी ने सबको सिखाया कि सच्चा प्यार कभी खत्म नहीं होता, चाहे हालात कैसे भी हों।
कहानी 2: एक सच्ची कहानी
रामू और उसकी माँ की कहानी
रामू एक छोटा बच्चा था, जो अपनी माँ के साथ एक छोटे से घर में रहता था। रामू के पिता का देहांत हो चुका था, और उसकी माँ मेहनत-मजदूरी करके घर चलाती थी। रामू बहुत ही होशियार बच्चा था, लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी।
रामू की माँ चाहती थी कि उसका बेटा पढ़-लिख कर बड़ा आदमी बने। उसने अपने बेटे को अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए बहुत संघर्ष किया। माँ दिन-रात मेहनत करती थी, लेकिन उसकी आँखों में अपने बेटे के उज्ज्वल भविष्य का सपना हमेशा ताज़ा रहता था।
एक दिन, रामू की माँ बीमार पड़ गई। उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे, लेकिन उसने अपनी बीमारी को नजरअंदाज किया और काम करती रही। रामू ने भी अपनी माँ की तकलीफ को समझा और उसने भी स्कूल के बाद काम करना शुरू कर दिया।
समय बीतता गया, और रामू की माँ की हालत और भी बिगड़ती गई। एक दिन, वह अचानक बेहोश हो गई और उसे अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर ने बताया कि उसकी हालत बहुत गंभीर है और उसे तुरंत इलाज की जरूरत है।
रामू के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपनी माँ का इलाज करा सके। उसने गाँव के लोगों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने भी उसकी मदद नहीं की। रामू ने हार नहीं मानी और उसने अपने स्कूल की पढ़ाई छोड़कर पूरा समय काम करने में लगा दिया।
लेकिन, रामू की माँ की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। एक दिन, रामू की माँ ने अपने बेटे का हाथ पकड़ा और कहा, “बेटा, मैं अब और नहीं जी सकती, लेकिन तुझे अपने सपनों को पूरा करना है। तू मुझे वादा कर कि तू पढ़-लिख कर बड़ा आदमी बनेगा।”
रामू की आँखों में आंसू थे, लेकिन उसने अपनी माँ से वादा किया। कुछ दिनों बाद, रामू की माँ इस दुनिया को छोड़ कर चली गई। रामू ने अपनी माँ की आखिरी इच्छा को पूरा करने के लिए पूरी मेहनत की।
उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक बड़े पद पर पहुंचा। रामू ने अपनी माँ के सपने को साकार किया, लेकिन उसकी माँ उसकी सफलता देखने के लिए इस दुनिया में नहीं थी।
कहानी 3: परिवार की दुःखभरी कहानी
गीता की कहानी
गीता एक छोटे से गाँव में अपने माता-पिता और दो भाइयों के साथ रहती थी। वह बहुत ही समझदार और प्यार करने वाली लड़की थी। उसके पिता किसान थे और उसकी माँ घर संभालती थी। गीता अपने परिवार से बहुत प्यार करती थी और उनके लिए कुछ भी करने को तैयार रहती थी।
एक दिन, गीता के पिता की तबीयत अचानक खराब हो गई। डॉक्टर ने बताया कि उन्हें दिल की बीमारी है और उन्हें तुरंत इलाज की जरूरत है। गीता और उसकी माँ ने अपने पिता के इलाज के लिए अपने सारे गहने बेच दिए और कर्ज भी ले लिया।
लेकिन, गीता के पिता की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। वह दिन-प्रतिदिन कमजोर होते जा रहे थे। गीता ने अपने भाइयों के साथ मिलकर खेत में काम करना शुरू कर दिया ताकि वे अपने पिता का इलाज करा सकें।
गीता के पिता की हालत और बिगड़ती गई और एक दिन उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। गीता और उसकी माँ पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उन्होंने अपने पिता को खो दिया था और अब उनके पास घर चलाने के लिए पैसे भी नहीं थे।
गीता ने हिम्मत नहीं हारी। उसने अपने भाइयों के साथ मिलकर खेत में दिन-रात मेहनत की और अपने परिवार को संभाला। उसकी माँ भी अपनी बेटी के साथ मिलकर काम करने लगी।
समय बीतता गया, और गीता ने अपनी मेहनत से अपने भाइयों की पढ़ाई पूरी करवाई। उसके दोनों भाई पढ़-लिख कर अच्छे पदों पर पहुंचे और अपने परिवार का नाम रोशन किया।
गीता ने अपने परिवार के लिए अपने सपनों की बलि दे दी, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। उसकी कहानी ने सबको सिखाया कि परिवार के लिए किसी भी हद तक जाना सच्चे प्यार और समर्पण की निशानी है।
कहानी 4: दोस्ती का दुखद अंत
राहुल और अमित की कहानी
राहुल और अमित बचपन के दोस्त थे। दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे और हमेशा साथ रहते थे। उनकी दोस्ती की मिसाल गाँव में हर कोई देता था। राहुल और अमित एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे और उनकी दोस्ती बहुत गहरी थी।
एक दिन, गाँव में एक नया लड़का रोहित आया। रोहित बहुत ही होशियार और स्मार्ट था। उसने जल्दी ही राहुल और अमित के ग्रुप में अपनी जगह बना ली। राहुल और अमित ने रोहित को अपने दोस्त की तरह स्वीकार कर लिया।
समय बीतता गया, और राहुल, अमित और रोहित की दोस्ती और भी मजबूत होती गई। लेकिन, धीरे-धीरे अमित को यह महसूस होने लगा कि रोहित और राहुल की दोस्ती उससे ज्यादा गहरी हो गई है। अमित ने इस बात को नजरअंदाज किया और अपनी दोस्ती को निभाने की कोशिश की।
एक दिन, स्कूल में एक बड़ी प्रतियोगिता हुई। राहुल और रोहित ने मिलकर इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और जीत भी हासिल की। अमित को इस बात का बहुत दुख हुआ कि उसके दोस्तों ने उसे इस प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया।
अमित ने अपने दिल की बात राहुल से कहनी चाही, लेकिन राहुल ने उसे समझाने की कोशिश की कि यह सब सिर्फ एक प्रतियोगिता थी। लेकिन, अमित के दिल में यह बात घर कर गई कि उसके दोस्त अब उसे उतना नहीं चाहते जितना पहले चाहते थे।
अमित ने धीरे-धीरे राहुल और रोहित से दूरी बना ली। उसने अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया और अपने पुराने दोस्तों से मिलना-जुलना कम कर दिया। राहुल और रोहित ने भी अमित की कमी को महसूस किया, लेकिन उन्होंने उसे समझाने की कोशिश नहीं की।
अंत में, अमित ने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक बड़े शहर में नौकरी करने चला गया। राहुल और रोहित ने भी अपने-अपने रास्ते चुने।
इस तरह, एक सच्ची दोस्ती का दुखद अंत हो गया। अमित, राहुल और रोहित ने अपनी-अपनी जिंदगी में सफलताएं हासिल कीं, लेकिन उनकी दोस्ती की कमी हमेशा उनके दिल में रही।
कहानी 5: अधूरे सपनों की कहानी
नीलम की कहानी
नीलम एक छोटे से शहर की होशियार और मेहनती लड़की थी। उसका सपना था कि वह एक बड़ी डॉक्टर बने और गरीबों का इलाज करे। उसके माता-पिता ने भी उसके सपनों को पूरा करने के लिए उसे हर संभव सहायता दी।
नीलम ने अपनी स्कूल की पढ़ाई में हमेशा अच्छे अंक हासिल किए और मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। वह दिन-रात मेहनत करती थी और अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करती थी।
मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई बहुत मुश्किल थी, लेकिन नीलम ने कभी हार नहीं मानी। उसने अपने दोस्तों से भी मदद ली और अपने शिक्षकों से भी। उसके मेहनत के चलते वह कॉलेज के टॉप स्टूडेंट्स में शामिल हो गई।
लेकिन, नीलम की जिंदगी में एक बड़ा मोड़ आया जब उसके पिता का अचानक निधन हो गया। यह उसके लिए एक बड़ा झटका था। उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। नीलम के ऊपर परिवार की जिम्मेदारियाँ आ गईं।
नीलम ने अपने पिता की आखिरी इच्छा को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन परिस्थितियों ने उसे मजबूर कर दिया। उसे अपनी पढ़ाई छोड़कर नौकरी करनी पड़ी ताकि वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर सके।
नीलम ने एक अस्पताल में नर्स की नौकरी कर ली। वह अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाई, लेकिन उसने अपने परिवार के लिए सब कुछ किया। उसके सपने अधूरे रह गए, लेकिन उसने अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
नीलम की कहानी ने सबको सिखाया कि जिंदगी में हालात चाहे जैसे भी हों, हमें हमेशा अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए। अधूरे सपनों का दुख जरूर होता है, लेकिन अपनों के लिए किए गए बलिदान का संतोष भी मिलता है।
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