रिश्ते प्यार और अपनापन से चलते हैं, लेकिन जब परिवार में स्वार्थ आ जाता है तो रिश्ते कमजोर हो जाते हैं। कई बार अपने ही लोग अपने स्वार्थ के कारण हमें तकलीफ देते हैं। ऐसे में हमें समझदारी से काम लेना चाहिए और यह पहचानना चाहिए कि कौन हमारे लिए सही है और कौन सिर्फ अपने फायदे के लिए हमारे साथ है। नीचे दिए गए स्वार्थी परिवार कोट्स आपको इस सच्चाई को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेंगे।
स्वार्थी परिवार पर उद्धरण और विचार
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“जब परिवार ही स्वार्थी हो जाए, तो अपने ही अपनों के लिए अजनबी बन जाते हैं।”
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“स्वार्थी रिश्ते धीरे-धीरे प्यार और विश्वास को खत्म कर देते हैं।”
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“जहां स्वार्थ होता है, वहां सच्चे रिश्ते ज्यादा समय तक नहीं टिकते।”
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“जो परिवार स्वार्थी होता है, वह कभी एक-दूसरे की खुशी में खुश नहीं हो सकता।”
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“स्वार्थी परिवार में अपनेपन की कमी होती है, वहां केवल स्वार्थ भरा प्यार मिलता है।”
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“परिवार का रिश्ता जब स्वार्थ पर टिके हो, तो वह बस एक समझौता बनकर रह जाता है।”
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“स्वार्थी लोग तब तक साथ रहते हैं जब तक उन्हें कोई फायदा हो।”
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“जब अपनों से उम्मीदें टूटने लगती हैं, तब समझ लेना कि वे स्वार्थी हो गए हैं।”
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“सच्चा परिवार वही होता है जो बुरे वक्त में भी आपके साथ खड़ा रहे।”
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“स्वार्थी रिश्तों से अकेलापन बेहतर होता है।”
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“स्वार्थी परिवार में अपनापन बस एक दिखावा होता है।”
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“रिश्ते तब ही मजबूत होते हैं जब उनमें प्यार हो, न कि स्वार्थ।”
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“जो लोग अपने स्वार्थ के लिए रिश्तों का इस्तेमाल करते हैं, वे कभी खुश नहीं रहते।”
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“परिवार वो होता है जो बिना किसी स्वार्थ के आपको सपोर्ट करे।”
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“स्वार्थी लोग अपनों को भी पराया बना देते हैं।”
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“जब रिश्ते स्वार्थ से भर जाएं, तो वे धीरे-धीरे टूट जाते हैं।”
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“स्वार्थी परिवार से बेहतर अकेलापन होता है।”
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“जहां परिवार में स्वार्थ होता है, वहां प्यार दम तोड़ देता है।”
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“स्वार्थी रिश्तों में कभी सच्ची खुशी नहीं मिलती।”
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“रिश्ते निभाने के लिए त्याग चाहिए, न कि स्वार्थ।”
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“जब परिवार में केवल स्वार्थ बचा रह जाए, तो वहाँ अपनापन खत्म हो जाता है।”
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“स्वार्थी लोग प्यार को सिर्फ एक सौदा समझते हैं।”
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“परिवार की पहचान त्याग से होती है, न कि स्वार्थ से।”
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“स्वार्थी लोग जब तक आपके साथ होते हैं, जब तक उन्हें जरूरत होती है।”
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“स्वार्थी रिश्ते सिर्फ तकलीफ देते हैं, प्यार नहीं।”
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“रिश्तों की मिठास तभी तक रहती है जब तक उनमें स्वार्थ न हो।”
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“अगर आपका परिवार भी स्वार्थी है, तो खुद को खुश रखने की आदत डाल लें।”
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“जहां स्वार्थ आता है, वहां प्रेम चला जाता है।”
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“स्वार्थी परिवार का हिस्सा बनने से अच्छा है अकेले रहना।”
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“जब अपना परिवार ही स्वार्थी हो, तो गैरों से क्या उम्मीद करें?”
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“रिश्तों में स्वार्थ घुल जाए, तो प्यार खत्म हो जाता है।”
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“स्वार्थी लोगों को केवल अपने फायदे की चिंता होती है।”
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“अपने ही जब स्वार्थी बन जाएं, तो दर्द सबसे ज्यादा होता है।”
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“स्वार्थी रिश्ते बोझ बन जाते हैं, प्यार नहीं।”
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“जहां स्वार्थ होगा, वहां भरोसा नहीं रहेगा।”
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“स्वार्थी परिवार के लोग हमेशा दूसरों का इस्तेमाल करते हैं।”
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“स्वार्थी रिश्ते सिर्फ समय के साथ बिखर जाते हैं।”
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“परिवार का असली मतलब निस्वार्थ प्यार और सहयोग होता है।”
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“स्वार्थी रिश्तों को जितना जल्दी छोड़ दो, उतना अच्छा।”
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“जो लोग सिर्फ स्वार्थ के लिए साथ रहते हैं, वे कभी अपनों के नहीं होते।”
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“परिवार का रिश्ता प्यार से बनता है, न कि स्वार्थ से।”
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“जब अपने ही स्वार्थी बन जाएं, तो सबसे ज्यादा दर्द होता है।”
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“स्वार्थी रिश्ते इंसान को अंदर से कमजोर बना देते हैं।”
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“स्वार्थी लोग केवल अपने फायदे के लिए रिश्ते निभाते हैं।”
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“जहां स्वार्थ है, वहां अपनापन नहीं हो सकता।”
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“स्वार्थी परिवार से अच्छा एक सच्चा दोस्त होना बेहतर है।”
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“स्वार्थी रिश्ते इंसान को अंदर से तोड़ देते हैं।”
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“जब अपने ही स्वार्थी बन जाते हैं, तब जिंदगी का असली सबक मिलता है।”
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“स्वार्थी परिवार सिर्फ अपने फायदे के बारे में सोचता है।”
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“रिश्तों की नींव प्यार पर टिकती है, स्वार्थ पर नहीं|”
FAQ for selfish family quotes in hindi
1. स्वार्थी परिवार क्या होता है?
स्वार्थी परिवार वह होता है जहां रिश्ते प्यार और अपनापन पर नहीं, बल्कि मतलब और स्वार्थ पर टिके होते हैं।
2. स्वार्थी रिश्तों को कैसे संभालें?
स्वार्थी रिश्तों से बचने के लिए आत्मनिर्भर बनें, अपनी भावनाओं को समझें और ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखें जो सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए आपके साथ हैं।
3. स्वार्थी लोगों से दूर रहने का क्या फायदा है?
स्वार्थी लोगों से दूर रहने से मानसिक शांति मिलती है और आप सही लोगों के साथ अच्छा समय बिता सकते हैं।
4. जब अपने ही स्वार्थी बन जाएं तो क्या करें?
अगर अपने ही लोग स्वार्थी बन जाएं, तो ज्यादा उम्मीदें न रखें और खुद को मजबूत बनाकर आगे बढ़ें।
5. स्वार्थी रिश्तों से कैसे बचें?
स्वार्थी रिश्तों से बचने के लिए खुद को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाएं, जरूरत से ज्यादा किसी पर निर्भर न रहें और अपने आत्मसम्मान को बनाए रखें|
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