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भगवद गीता के अनमोल कर्म विचार जो जीवन को सही दिशा दिखाते हैं

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भगवद गीता में कर्म का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। यह हमें यह सिखाती है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन बिना किसी स्वार्थ के करना चाहिए। जब हम निष्काम भाव से कर्म करते हैं, तो हमें निश्चित रूप से अच्छे परिणाम मिलते हैं। गीता के अनुसार, कर्म ही सच्चा धर्म है, और जो व्यक्ति अपने कर्म में विश्वास रखता है, वह अपने जीवन को सफल बना सकता है। गीता हमें यह भी सिखाती है कि हमें अपने कर्मों का फल नहीं सोचना चाहिए, बल्कि पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ काम करना चाहिए। अगर हम अपने कर्म को धर्म समझकर करें, तो जीवन में किसी भी प्रकार का भय या असफलता नहीं आएगी|

  • कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
  • मनुष्य केवल कर्म करने का अधिकारी है, फल की चिंता मत कर।
  • कर्म अच्छे हों तो भाग्य भी साथ देता है।
  • कर्म कर, फल की इच्छा मत रख, यही गीता का सार है।
  • सत्य और कर्म से जीवन को श्रेष्ठ बनाओ।
  • अच्छे कर्मों का फल अवश्य मिलता है, समय पर धैर्य रखो।
  • जो कर्म करता है, वही अपने भाग्य का निर्माता होता है।
  • बिना स्वार्थ के कर्म करने से ही सच्ची शांति मिलती है।
  • जो जैसा कर्म करता है, वैसा ही उसे फल मिलता है।
  • सही कर्म करने वाला कभी पछताता नहीं।
  • कर्मशील व्यक्ति कभी निराश नहीं होता।
  • बुरा कर्म करने वाला कभी सुखी नहीं रह सकता।
  • कर्म के बिना जीवन अधूरा है।
  • सभी कर्मों का आधार निःस्वार्थ भाव होना चाहिए।
  • सही कर्म ही सही दिशा दिखाता है।
  • कर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
  • कर्म से जीवन में संतुलन आता है।
  • कर्म से बड़ा कोई गुरु नहीं होता।
  • कर्मयोग ही सच्चा योग है।
  • हर व्यक्ति को अपने कर्म का फल अवश्य मिलता है।
  • जो अपने कर्मों को सुधारता है, वही सफल होता है।
  • सुख और दुख कर्मों का ही परिणाम हैं।
  • जो अच्छे कर्म करता है, वही सच्चा इंसान है।
  • सच्चा इंसान वही है जो निष्काम कर्म करता है।
  • बिना कर्म के जीवन व्यर्थ है।
  • कर्म ही इंसान की सच्ची पहचान है।
  • कर्म कर, फल की चिंता मत कर – यही जीवन का सार है।
  • कर्म और नियति का अटूट संबंध है।
  • परिश्रम और कर्म से ही जीवन को बदला जा सकता है।
  • जो कर्म करता है, वही संसार में पूजनीय होता है।
  • सभी कर्मों में समर्पण और निष्ठा होनी चाहिए।
  • स्वार्थ रहित कर्म ही सच्चा धर्म है।
  • कर्म योग से बढ़कर कुछ भी नहीं।
  • कर्म और फल का सीधा संबंध है।
  • अपने कर्म को सुधारो, भाग्य खुद सुधर जाएगा।
  • अच्छे कर्म करने से आत्मिक शांति मिलती है।
  • कर्म की शक्ति ही सबसे बड़ी शक्ति है।
  • सत्कर्म करने से जीवन में खुशियां आती हैं।
  • जो जैसा कर्म करेगा, वैसा ही भविष्य होगा।
  • कर्म करने में आनंद लो, फल की चिंता छोड़ो।
  • सफलता का रहस्य अच्छे कर्मों में छिपा है।
  • बिना कर्म के कोई कुछ नहीं पा सकता।
  • भगवान कर्म के आधार पर ही न्याय करते हैं।
  • सच्चा ज्ञान निष्काम कर्म से आता है।
  • जो कर्म योगी है, वही असली विजेता है।
  • कर्म से बड़ा कोई मित्र नहीं।
  • कर्म से ही जीवन का वास्तविक आनंद मिलता है।
  • हर कर्म में भलाई होनी चाहिए।
  • ध्यान और कर्म का संतुलन बनाना जरूरी है।
  • शुद्ध हृदय से किया गया कर्म ही श्रेष्ठ होता है।
  • भगवान कर्म में निष्ठा रखने वालों का साथ देते हैं।
  • कर्म से ही आत्मा शुद्ध होती है।
  • हर कर्म में ईमानदारी होनी चाहिए।
  • जो निष्काम कर्म करता है, वही सच्चा योगी है।
  • सही कर्म करने से भय दूर होता है।
  • कर्म का प्रभाव कभी व्यर्थ नहीं जाता।
  • अच्छे कर्म ही अच्छे भविष्य की नींव रखते हैं।
  • कर्मशील व्यक्ति हमेशा सम्मान पाता है।
  • सच्चा ज्ञान वही है जो कर्म के साथ हो।
  • कर्म और विश्वास से असंभव भी संभव हो जाता है।
  • कर्मवीर को कभी हार का भय नहीं सताता।
  • हर कर्म में सच्चाई और प्रेम होना चाहिए।
  • जो दूसरों की भलाई के लिए कर्म करता है, वही महान है।
  • जो कर्म करने में आलसी होता है, वह जीवन में असफल रहता है।
  • कर्म का कोई विकल्प नहीं है।
  • जो निष्काम कर्म करता है, वही भगवान के करीब होता है।
  • हर कर्म में श्रद्धा और समर्पण होना चाहिए।
  • कर्म ही व्यक्ति की असली पूंजी है।
  • शुद्ध कर्म से जीवन में प्रकाश आता है।
  • कर्म और धैर्य से हर मुश्किल आसान हो जाती है।
  • कर्मयोग ही सच्चा मोक्ष का मार्ग है।
  • हर कर्म ईश्वर को अर्पित करने योग्य होना चाहिए।
  • जो कर्म को पूजा समझता है, वही असली भक्त है।
  • सही कर्म करने से मन को शांति मिलती है।
  • जो ईमानदारी से कर्म करता है, वही सम्मान पाता है।
  • कर्म से बढ़कर कोई साधना नहीं।
  • कर्म और नीयत दोनों का शुद्ध होना आवश्यक है।
  • कर्म से ही व्यक्ति का भाग्य बनता है।
  • निःस्वार्थ कर्म करने वाला ही सच्चा ज्ञानी है।
  • जो कर्म करता है, वही अपने भविष्य का निर्माण करता है।
  • अच्छे कर्म करने से आत्मा की शुद्धि होती है।
  • परिश्रम और कर्म से सफलता सुनिश्चित होती है।
  • निष्काम कर्म से जीवन सफल बनता है।
  • जो कर्म करता है, वही सच्चा संत है।
  • कर्मशील व्यक्ति ही सच्चा योद्धा होता है।
  • सही कर्म करने से ही सही मार्ग मिलता है।
  • कर्म का महत्व समझो, तभी जीवन सफल होगा।
  • जो कर्म के नियमों को समझता है, वही विजयी होता है।
  • अच्छे कर्मों से जीवन में शुभता आती है।
  • भगवान निष्काम कर्म करने वालों का साथ देते हैं।
  • हर व्यक्ति को अपने कर्मों का हिसाब देना होता है।
  • कर्महीन व्यक्ति जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ सकता।
  • सफलता कर्म और आत्मविश्वास से मिलती है।
  • कर्मयोगी व्यक्ति कभी हारता नहीं।
  • जो कर्म करता है, वही दूसरों के लिए प्रेरणा बनता है।
  • कर्म ही सबसे बड़ा धर्म है।
  • अच्छे कर्मों से ही जीवन का उद्धार होता है।
  • भगवान हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं।
  • कर्म करो और निष्काम भाव से आगे बढ़ो।
  • सत्कर्म करने से ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है|
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FAQ for karma bhagavad gita quotes in hindi

भगवद गीता में कर्म का क्या महत्व है?
भगवद गीता में कर्म को सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है। यह हमें सिखाती है कि हमें बिना किसी स्वार्थ के अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।

क्या भगवद गीता के अनुसार भाग्य पहले से तय है?
भगवद गीता कहती है कि भाग्य का निर्माण हमारे कर्मों से होता है। यदि हम अच्छे कर्म करेंगे, तो हमारा भविष्य भी उज्ज्वल होगा।

क्या निष्काम कर्म करना संभव है?
हाँ, जब हम अपने कर्तव्यों को बिना किसी लालच या अपेक्षा के पूरा करते हैं, तब हम निष्काम कर्म करते हैं।

क्या गीता के अनुसार कर्म और मोक्ष का संबंध है?
हाँ, गीता के अनुसार निष्काम कर्म करने वाला व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर सकता है। जब हम कर्मफल की इच्छा छोड़कर कार्य करते हैं, तो हम आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ते हैं।

गीता के अनुसार कैसे कर्म करने चाहिए?
गीता कहती है कि हमें सत्य, ईमानदारी और निष्ठा के साथ कर्म करना चाहिए। हमें अपने कार्य को पूरी मेहनत से करना चाहिए और परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए|

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